सपने जैसा होता है

कुछ बातों का सच हो पाना सपने जैसा होता है
यादों का नायाब खज़ाना सपने जैसा होता है

प्यार, मोहब्बत, इश्क, अदावत, यारी और दुनियादारी
इन चीज़ों का आना-जाना सपने जैसा होता है

लाख बुराई के क़िस्से भी कितने अच्छे लगते हैं,
इक अच्छाई का अफ़साना सपने जैसा होता है

कुछ कमियाँ ता-उम्र तुम्हारे साथ खड़ी रह जाती हैं
कुछ लोगों की सोहबत पाना सपने जैसा होता है

हर कोई अपने माज़ी में उलझा-उलझा बैठा है
अपने जैसा साथी पाना सपने जैसा होता है

जिसने जन्मों साथ निभाने के वादे कर डाले थे
तन्हाई में उसका आना सपने जैसा होता है

हाँ! मुश्किल था, बेहद मुश्किल था, पर आख़िर भूल गया
कुछ वादों का साथ निभाना सपने जैसा होता है


(अदावत: enmity, सोहबत: company, माज़ी: past)

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Ravi Prakash Tripathi
Research Associate

A Ph.D. fellow working on “Security in Socio-industrial Metaverse” who could often be found somewhere messing up with bugs & vulnerabilities, contributing to open source or writing poems.

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